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केसरीया पार्श्वनाथ तीर्थ

केसरीया पार्श्वनाथ का प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर

भद्रावती के जैन मंदिरों की यात्रा

भद्रावती में स्थित जैन मंदिर एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की एक विशाल और भव्य प्रतिमा है। मंदिर के परिसर में कई अन्य मंदिर और मूर्तियाँ भी हैं।

यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है। यह मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

यदि आप भद्रावती में हैं, तो आपको निश्चित रूप से इस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर की यात्रा करनी चाहिए।

The Idol
मूलनायक श्री केसरिया पार्श्वनाथ
Enchanted atmosphere
चमत्कारों का मंदिर
The Architecture
अद्वितीय शिल्पकला

आपके सहयोग से श्री जैन श्वेतांबर मंडळ ट्रस्ट, भद्रावती द्वारा संचालित पार्श्वनाथ जीव दया मैत्री धाम ( गौशाला ) के माध्यम से लावारीस, निराश्रित, बिमार, अपंग पशुओ को, यहा पर नगर परिषद द्वारा पकडे हुवे जखमी जानवर पोलीस स्टेशन से कसाईखानो मे जानेवाली गौमाताए तथा सामाजिक संगठनो द्वारा कसाईयो से बचाए हुए गौवंश, अशक्त मरणासन्न पशु ( गौवंश ) को भी आश्रय देकर उनकी सेवा - सुश्रुषा, दवा, चारा - पानी की नियमित व्यवस्था के साथ ही अन्य सुविधाए भी उपलब्ध कराती है| इन सारी व्यवस्थाओ मे काफी आर्थिक कठनाईया आती है|श्री पार्श्वनाथ जीवदया मैत्री धाम के निर्माण के पूर्णत्व के लिए बडा खर्च अपेक्षित है|

गौशाला

Tourist Places

भद्रावती तीर्थ परिसर

भद्रनाग मंदिर

गांव में प्रवेश करते ही सड़क के किनारे स्थित हजारों साल पुराना मंदिर। मूर्ति मणीभद्र देव या बुद्ध देव की बताई जाती है। मेले में नाग देवता के दर्शन होते हैं। धरणेन्द्र देव का मंदिर होने का अनुमान है। १२८६ में जीर्णोद्धार हुआ। भद्रनाग मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

पुरातन किला

यहाँ पर एक पत्थरों से बंधा हुवा अच्छा प्राचिन किला भी है। जो अब खण्डहर हो गया है। किलेकी ऊँची जमीनके भाग को देखने से ज्ञात होता है। के यहाँ राजाका दरबार लगा करता था। किले के अन्दर एक बडीसी चौमुखी बावडी भी है।

विंझासन की गुफा

हिंंगनघाट शहर से थोड़ी दूर स्थित एक प्राचीन गुफा है, जिसमें एक दूसरे से लगी हुई तीन तरफ तीन गुफाएँ हैं। इन गुफाओं की पाषाणी दीवारों में तीनों तरफ तीन पद्मासनस्थ सात फुट की ऊंचाई में बड़ी बड़ी मूर्तियाँ उत्कीर्ण की हुई हैं। खंडित दशा में होने के कारण इन मूर्तियों की पहचान करना मुश्किल है, लेकिन यह माना जाता है कि ये या तो जैन या बौद्ध धर्म की मूर्तियाँ हो सकती हैं।

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